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What is Computer Memory मेमोरी क्या है ? और इसके प्रकार

what is computer memory

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कम्प्यूटर मेमोरी क्या है – what is memory in hindi

आज के इस लेख में हम What is Computer Memory के बारे में जानेंगे। किसी भी निर्देश, सूचना अथवा परिणाम को Save करके रखना ही Memory कहलाता है। हमारे मस्तिष्क का भी एक भाग Memory के लिए प्रयोग होता है। यदि हमें कोई गणना करनी है तो जिन संख्याओं की गणना की जानी है। उनको पहले Memory में रखते है. फिर गणना के उपरान्त परिणामों को Memory मे रखने के बाद ही उत्तर देते हैं।

अतः स्पष्ट है कि Memory हमारे मस्तिष्क में दिये जाने वाले सन्देशों, सूचनाओं, निर्देशों आदि को Save करके रखने वाला एक भाग है। कम्प्यूटर द्वारा वे सभी कार्य कराये जा सकते हैं, जिनको हम अपने मस्तिष्क से करते हैं। CPU में होने वाली समस्त क्रियाएँ सर्वप्रथम स्मृति (Memory) में जाती है।

मेमोरी के प्रकार – types of computer memory

मेमोरी दो प्रकार की होती है-

  1. अस्थायी स्मृति (Temporary Memory)
  2. स्थायी स्मृति (Permanent Memory)

Temporary Memory- जब हम कम्प्यूटर को On करके कोई सूचना देते हैं, तो वे कम्प्यूटर की Memory में Save हो जाती है। जब तक कमाण्ड द्वारा वे सूचनाएँ मिटायी न जाये अथवा कम्प्यूटर को बन्द (Off) न किया जाये, तब तक वे सूचनाएँ कम्प्यूटर की Memory में Save रहती है। कम्प्यूटर को Off करते ही ये सूचनाएँ Memory से साफ हो जाती है।

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ये समस्त सूचनाएँ कम्प्यूटर की RAM पर Save होती हैं। कम्प्यूटर में RAM पर सूचनाएँ Save करने के लिए हमें किसी कमाण्ड की आवश्यकता नहीं होती, जो भी सूचना किसी input devices द्वारा कम्प्यूटर को दी जाती है, वह तुरन्त RAM में जाकर Save हो जाती है। चूंकि इस प्रकार की Memory में Save सूचनाओं को कम्प्यूटर को पुन: On करने पर प्राप्त नहीं कर सकते; अतः इसे अस्थायी Memory कहा जाता है। RAM को कम्प्यूटर की Basic Memory भी कहा जाता है।

Permanent Memory- जब हम कम्प्यूटर को On करते हैं तो Monitor स्क्रीन पर कुछ सन्देश प्रदर्शित होते हैं। ये सभी निर्देश एवं सन्देश, जो कम्प्यूटर हमें दर्शा रहा है, कम्प्यूटर की स्थायी Memory में स्टोर रहते हैं। साथ ही कुछ program भी ROM (Read Only Memory) में रहते हैं, जिनके अनुसार निर्देश मिलने पर उपयुक्त ‘मैसेज’ स्क्रीन पर उपस्थित होते हैं। कम्प्यूटर को चाहे जितनी बार ऑन या ऑफ किया जाये, इस program पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यह वैसे ही Save रहता है; अतः इस Memory को स्थायी Memory कहा जाता है।

मेमोरी में प्रोग्राम को सेव करने की विधि – Process of Saving the Program in Memory

कम्प्यूटर की Memory में प्रोग्रामों को Save करने की निम्न दो विधियाँ है-

  • SAM (Sequential Access Memory)
  • RAM (Random Access Memory)
  1. SAM (Sequential Access Memory) – SAM का हिन्दी अर्थ है-‘क्रमिक अभिगम स्मृति’ अर्थात् क्रमवार लिखना या पढ़ना। जिस प्रकार हम कैसिट पर गाना रिकॉर्ड करते हैं और यदि किसी कैसिट पर स्टोर 5वें गाने को सुनना चाहते हैं, तो पहले आरम्भ के 4 गानों को फारवर्ड करना होगा। इसी प्रकार जब कम्प्यूटर का डाटा मैग्नेटिक टेप पर स्टोर किया जाता है, तो वह भी ठीक इसी प्रकार लिखा या पढ़ा जाता है। स्टोर करने की इस पद्धति को SAM (सीक्वेंशल एक्सेस मेमोरी) कहा जाता है।
  2. RAM (Random Access Memory) – RAM का हिन्दी अर्थ है-‘अक्रमिक अभिगम स्मृति’ अर्थात् बिना किसी निश्चित क्रम में लिखना व पढ़ना। जिस प्रकार गाने को ग्रामोफोन के रिकॉर्ड पर सुनने के लिए किसी क्रम की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि यदि उस पर स्टोर 5वाँ गाना सुनना है तो ग्रामोफोन की सुई डायरेक्ट उस गाने पर रख देते हैं और वह बजने लगता है। ठीक उसी प्रकार फ्लॉपी पर कम्प्यूटर program को लिखना और पढ़ना है। कम्प्यूटर की आन्तरिक Memory जिस IC पर Save की जाती है, वह हमेशा अक्रमिक अभिगम पद्धति से ही लिखी अथवा पढ़ी जाती है; अत: RAM एवं ROM दोनों ही IC वस्तुत: RAM ही होती हैं।

कम्प्यूटर की स्मृति के भाग – Parts of Computer’s Memory

कम्प्यूटर की Memory को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-

  • आन्तरिक स्मृति (Internal Memory)
  • बाह्य स्मृति (External Memory)

    (i) आन्तरिक स्मृति – (Internal Memory/Primary Memory)-Memory के बारे में इससे पूर्व जो जानकारी दी गयी, वह आन्तरिक Memory के बारे में ही थी। कम्प्यूटर की आन्तरिक Memory, जो IC पर स्टोर की जाती है, Semi Conductor Memory कहलाती है।

कम्प्यूटर की Internal Memory को दो भागों में बाँटा जा सकता है-

  • Read Only Memory
  • Read/ Write Memory

    1. Read Only Memory- ROM उसे कहते है, जिसमें लिखे हुए program के आउटपुट को हम केवल पढ़ सकते हैं, परन्तु उसमें अपना program Save नहीं कर सकते। ROM में अक्सर कम्प्यूटर निर्माताओं द्वारा program Save करके कम्प्यूटर में स्थायी कर दिये जाते हैं, जो समयानुसार कार्य करते रहते है और आवश्यकता पड़ने पर ऑपरेटर को निर्देश देते रहते हैं।

    Basic Input Output System or BIOS – नाम का एक program ROM का उदाहरण है, जो कम्प्यूटर के ऑन होने पर उसकी सभी इनपुट Output Devices को चैक करने एवं नियन्त्रित करने का काम करता है। आरम्भ में ROM के लिए यह बाध्यता थी कि कम्प्यूटर निर्माता भी एक बार किसी program को इस IC पर स्टोर करने के बाद उसे न तो मिटा सकते थे और न ही उस program को संशोधित कर सकते थे, परन्तु बाद में PROM, EPROM, EEPROM नाम की मैमोरी रखने वाली IC बनायी गयीं, जिनके अलग-अलग लाभ है।

  • प्रोग्रामेबल रॉम (PROM)- इस Memory में किसी program को केवल एक बार Save किया जा सकता है, परन्तु न तो उसे मिटाया जा सकता है और न ही उसे संशोधित किया जा सकता है।
  • इरेजेबिल प्रॉम (EPROM)- इसमें Save किया गया program मिटाया जा सकता है। यदि कोई program बहुत समय पहले Save किया गया था, जिसे मिटाकर उसके स्थान पर हम नया program Save करना चाहते है, तो यह कार्य EPROM द्वारा सम्भव है।
  • इलेक्ट्रिकली-इ-प्रॉम (EEPROM)- इलेक्ट्रिकली इरेजेबिल प्रॉम पर स्टोर किये गये program को मिटाने अथवा संशोधित करने के लिए किसी अन्य उपकरण की आवश्यकता नहीं होती। इलेक्ट्रिकली सिगनल, जो कि कम्प्यूटर में ही उपलब्ध रहते हैं, हमारे द्वारा कमाण्ड्स दिये जाने पर इस program को संशोधित कर देते हैं।

    2. Read/Write Memory- इस मेमोरी में हम (Operator) अपने program को कुछ देर के लिए स्टोर कर सकते हैं। साधारण भाषा में इस मेमोरी को RAM कहते हैं। यही कम्प्यूटर की बेसिक मेमोरी भी कहलाती है।

    (ii) बाह्य स्मृति (External Memory / Secondary Memory)- कम्प्यूटर पर अपने किये गये कार्य को Save करने के लिए बाह्य Memory RAM और SAM दोनों प्रकार से कार्य करती है। इनकी संग्रहण क्षमता = Internal Memory की अपेक्षा अधिक होती है। ये अपेक्षाकृत सस्ती होती हैं, परन्तु बाह्य Memory की कार्यगति आन्तरिक Memory की अपेक्षा अत्यन्त कम होती है। External Memory निम्न प्रकार की हो सकती है।

  • फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk) — डिस्क का निर्माण ट्रैक/सैक्टर के समूह द्वारा होता है, जिन पर सूचनाएँ Save की जा सकती है। संचयन क्षमता ट्रैक/सैक्टर के घनत्व और अभिलेखन (Recording) पर निर्भर करती है।
  • सीडी-रॉम (CD-ROM) – यह एक उच्च क्षमता वाला भण्डारण उपकरण है, जो लगभग 650 MB तक सूचनाएँ Save कर सकता है।
  • हार्ड डिस्क (Hard Disk)- हार्ड डिस्क बहुत अधिक मात्रा में (20 MB से 80 GB तक) डाटा Save करने की क्षमता रखती है।

मेमोरी की इकाई – Unit of Memory

Memory की क्षमता को नापने वाली इकाई BIT, BYTE, KB, MB एवं GB होती है-

BIT- यह कम्प्यूटर की Memory की सबसे छोटी इकाई है। यह Memory में एक बाइनरी अंक 0 अथवा 1 को Save किया जाना प्रदर्शित करता है। यह Binary Digit का सूक्ष्म रूप है।

BYTE- यह कम्प्यूटर की Memory की मानक इकाई है। कम्प्यूटर की Memory में की-बोर्ड से दबाया गया प्रत्येक अक्षर, अंक अथवा विशेष चिह्न ASCII Code में Save होता है। प्रत्येक ASCIl Code 8 Bit का होता है। इस प्रकार किसी भी अक्षर को Memory में Save करने के लिए 8 Bit (1 Byte) आवश्यक है।

KB- का अर्थ है किलोबाइट: 1 KB 1024 Byte के बराबर होती है। MB का अर्थ है मेगाबाइट: 1 MB, 1024KB के बराबर होती है।

GB- का अर्थ है गीगाबाइट 1GB, 1024 MB के बराबर होती है। TB-का अर्थ है टेराबाइट 1TB 1024 GB के बराबर होती है।

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